वो बचपन भी क्या ज़माना था...

बचपन कि ये लाइन्स .
जिन्हे हम दिल से गाते गुनगुनाते थे .......
और तरह तरह के खेल खेलते थे ..!!
तो आज एक बार फिर याद ताज़ा कर लीजिये ...!!

▶ मछली जल की रानी है, 
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी, 
बाहर निकालो मर जायेगी।

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▶ पोशम्पा भाई पोशम्पा ,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा। 
थै थैयाप्पा थुशमदारी बाबा खुश।

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▶ आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

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▶ आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।

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▶ झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।

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▶ चन्दा मामा दूर के,
पूए पकाये भूर के।
आप खाएं थाली मे,
मुन्ने को दे प्याली में।

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▶ तितली उड़ी,
बस मे चढी।
सीट ना मिली,
तो रोने लगी।
ड्राईवर बोला, 
आजा मेरे पास,
तितली बोली ” हट बदमाश “।

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▶ मोटू सेठ,
पलंग पर लेट ,
गाडी आई,
फट गया पेट

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आज क्यों न हम सब अपना बचपन याद करें और साथ साथ अपने दोस्तों को भी याद करें । बचपन के वो पल कितने सुकून भरे होते थे किसी बात का Tention नहीं था जीवन में काश वो बचपन एक बार फिर से लौट आये ..

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