आडवानी के बोले राम जन्मभूमि को लेकर बने सहमति, ओवैसी ने कहा अब नहीं होगी चर्चा

नईदिल्ली। श्री राम जन्मभूमि बाबरी मस्ज़िद विवाद को लेकर भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने सर्वोच्च न्यायालय की बात का स्वागत किया है। उनका कहना था कि इस मामले से जुड़े सभी पक्षों के बीच सहमति बनना चाहिए। हालांकि इस मामले से जुड़े धर्म विशेष के पक्षों में अधिकांश का कहना है कि चर्चा तो पहले भी होती रही है लेकिन नतीजा कुछ नहीं रहा ऐसे में चर्चा हो तो न्यायालय इस मामले में मध्यस्थ रहे।

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फ़रयाब जिलानी का  कहना था कि न्यायालय की मध्यस्थता से चर्चा होती है तो वे तैयार हैं। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद और श्री राम जन्मभूमि के विवाद पर कहा था कि संबंधित पक्षों को आपस में चर्चा कर मामला सुलझाना चाहिए। यदि न्यायालय के बाहर निर्णय हो तो यह बेहद अच्छा है। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि दोनों ही पक्षों को मिलकर इस मसले को चर्चा से हल करना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने न्यायालय से अपील की थी कि न्यायालय बीते 6 वर्ष से लंबित श्री राम मंदिर के मसले पर प्रतिदिन सुनवाई करे। न्यायालय ने अपील की थी कि न्यायालय जल्द अपना निर्णय सुनाए। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह मसला धर्म व आस्था से संबंधित है। ऐसे में दोनों ही पक्षों को आपस में इस मसले को सुलझाना होगा।

आॅल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में विरोध करते हुए कहा कि पर्सनल लाॅ बोर्ड तो यह निर्णय ले चुका है कि वह किसी से चर्चा नहीं करेगा। राज्यसभा सांसद स्वामी ने यह नहीं बताया कि करीब 6 बार इस मसले पर प्रयास हो चुका है मगर नतीजा कुछ नहीं निकला। राजीव गांधी, चंद्रशेखर व पीवी नरसिंहा राव के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी प्रयास हुए थे मगर हल नहीं निकला। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना था कि जहां पर रामलाला है वहीं पर सोमनाथ जैसा भव्य मंदिर निर्मित होगा।

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