आंकड़ों की जादूगरी से सरकार ने जुटाया आरोपों के समाधान का उपाय

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार इन दिनों विपक्ष के आरोपों से घिरी नज़र आ रही है। कभी अंडरवर्ल्ड डाॅन दाऊद इब्राहिम को लेकर सरकार पर सवाल उठाए जाते हैं तो कभी भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर सरकार मुश्किलों में रहती है हाल ही में सरकार पर अमीरों को प्राथमिकता देने और गरीबों का ध्यान न रखने के आरोप विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में कुछ ऐसे आंकड़े आए हैं जिनसे यह बात सामने आई है कि सरकार गरीबों की संख्या को बढ़ाने पर विचार कर रही है। जी हां हाल ही में कुछ ऐसे आंकड़े आए हैं जिनसे चौंकाने वाली जानकारी मिली है। सरकार ने इसके लिए हर व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले प्रतिदिन के खर्च का विवादित पैमाना तैयार किया है। इसे नीति आयोग द्वारा घटाया गया है।

सरकार द्वारा कहा गया है कि इस तरह के प्रयासों से देश की आबादी में गरीबों का हिस्सा 40 प्रतिशत तक पहुूंच सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोई सरकार उद्योगपतियों की समर्थक होने के आरोपों से घिरी है तो उसके लिए यह एक बेहतर उपाय है कि वह गरीबों की संख्या ज्यादा दिखाकर गरीब हितकर कार्य दिखाए। गरीबी रेखा का भी बहुत महत्व होता है। इस पैमाने से कई ऐसी योजना के हितकारी जुड़े होते हैं जो सामाजिक हितकारी और गरीबी मूलक योजना का लाभ ले सकते हैं।

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