अब सरकारी विज्ञापन में अपनी तस्वीर नहीं लगा सकेंगे नेता

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अहम निर्णय देकर सरकारी विज्ञापनों में नेताओं के प्रचार - प्रसार की बात को दूर कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि अब नेता किसी भी सरकारी विज्ञापन में अपनी तस्वीर नहीं लगा सकेंगे। मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठ अभिभाषक प्रशांत भूषण के गैर सरकारी संगठन काॅमन काॅज द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अपनी सुनवाई की।

इस मसले पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष आदेश के अंतर्गत कहा है कि अब नेता सरकारी विज्ञापन पर अपनी तस्वीर नहीं छपवा सकेंगें। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकारी विज्ञापनों से अब मुख्यमंत्री, मंत्री, गवर्नर सहित अन्य नेताओं की फोटो भी नहीं लगाई जा सकेगी। विज्ञापनों में मुख्यमंत्री, मंत्री और राज्यपाल को तस्वीर लगाए जाने पर स्वयं इसकी जवाबदेही लेने का निर्देश दिया गया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन विज्ञापनों में तस्वीर लगाने से पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजीआई की अनुमति भी लेना होगी। दूसरी ओर गाईडलाईंस को अमल में लाने के लिए केंद्र की समिति तैयार की जाएगी। यदि किसी विज्ञापन पर नेता की तस्वीर अंकित होती है तो उसे गैरकानूनी माना जाएगा। मामले में प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सरकारी विज्ञापनों में सरकार के पैसे का इस्तेमाल नेताओं की छवि को चमकाने के लिए किया गया है। जिसके विरूद्ध न्यायालय में अपील की गई।

उल्लेखनीय है कि महापुरूषों के पुण्य स्मरण को लेकर जो विज्ञापन तैयार किए जाते हैं उनमें नेताओं के चित्र भी शामिल रहते हैं यही नहीं कई बार तो स्थिति यह होती है कि नेताओं के फोटो अधिक बड़ी साईज में छाप दिए जाते हैं और महापुरूषों के चित्रों को अधिक महत्व नहीं दिया जाता।

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