मैरिटल रेप मामले में केंद्र ने दिया हलफनामा

नई दिल्ली : एक कानूनी मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही बहस के दौरान मैरिटल रेप को अपराध की क्षेणी में रखने की मांग संबंधी याचिका पर केंद्र ने हाई कोर्ट को कहा है कि सरकार धारा 375 में संशोधन करने के पक्ष मे नहीं है. केंद्र ने कहा है कि लॉ कमीशन भी इसके पक्ष मे नहीं है. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट मे दिए गए हलफनामे मे कहा कि लॉ कमीशन की 84वीं रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अगर कोई पति अपनी 15 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करता है तो ही उसे मैरिटल रेप की श्रेणी मे रखा जा सकता है.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट मे इस उम्र को 15 से बढ़ाकर 18 साल करने को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई चल रही है. बता दें कि पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका पर सरकार को अपना पक्ष साफ करने को कहा था.

गौरतलब है कि इस गम्भीर कानूनी मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया था कि आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) में 2013 में किया गया संशोधन गलत है और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक संबंधों) से मेल नहीं खाता. इसमें एक कानूनी मुद्दा उठाया गया है कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के दोनों दंड प्रावधानों में अनिश्चितता है, क्योंकि आईपीसी की धारा 375 में एक अपवाद है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 15 साल से कम न हो के साथ यौन संबंध या यौन गतिविधियां बलात्कार नहीं है.

बता दें कि याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की शिकायत पर अप्राकृतिक सेक्स के कथित अपराध के लिए मुकदमे का सामना कर रहा है. इस व्यक्ति ने 2013 में 20 साल की एक लड़की से शादी की थी जिसने बाद में उसके खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के कथित अपराध के लिए मामला दर्ज कराया था. हालांकि निचली अदालत ने उसे पत्नी से बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया था, लेकिन अप्राकृतिक सेक्स के आरोप में मुकदमा जारी रखा. फिलहाल वह जमानत पर है.

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