न जाने क्यों रात भर इस रात को नींद ही नहीं आती है

न जाने क्यों रात भर इस रात को नींद ही नहीं आती है

रात रात भर यह सिर्फ परियों की कहानियां सुनाती है

पूरी रात ये चाँद करता रहता है आँख मिचौली

अपनी चांदनी और इन सितारों के जहान में है

इसकी डोली आसमान के आगोश में सब समाएं हैं,

हिफ़ाज़त करे तो सबकी वो फ़रिश्तों की दुआएं है

शुभ रात्रि

 

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