तूने ही चलना सिखाया था मुझे, हाथ पकड़कर पट्टी पर सबसे पहले लिखना तूने ही सिखाया था मुझे। पट्टी पर चाॅक चलाकर जब कुछ लिखता तो बस मां ही लिख देता। मेरी कमी पर जग हंसता पर तेरा साथ रगों में दुगना साहस भर देता। चाहा तो था तेरी इबादत में चांद को धरती पर झुका दूं, पर ये भी कमतर ही मुझको हर वक्त दिखता। जी हां, मां की शान में शब्द बहुत छोटे से पड़ जाते हैं। जो मां हमें उंगली पकड़ना, चलना, लिखना सिखाती है उसके प्रेम को अभिव्यक्त करने में सारी कायनात भी छोटी लगती है। कहा गया है कि ईश्वर हर व्यक्ति के पास प्रत्यक्षतौर पर नहीं जा सके तो उन्होंने मां को हर जीव के पास भेज दिया। चिडि़या अपने चूजे को दाना डालकर उड़ने का सबक सिखाती है, वैसे ही गाय अपने बछड़े को अपनी ओट में लेकर जीभ से उसे साफ करती है। इंसानों में तो मां सारी उम्रभर बस अपनी संतान के लिए ही जीती है। मां को धन्यवाद देने के लिए शब्द नहीं मिलते, हर उपहार बेकार से साबित होते हैं, ईकाॅमर्स के इस दौर में भावनाओं की अभिव्यक्ति और साधन सूत्र बदले से नजर आते हैं। यह ऐसी दुनिया है जहां जज़्बात के ही साथ मार्केट की रौनक बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जाते हैं। आज आॅनलाईन शाॅपिंग का ऐसा दौर है जिसमें एक जगह बैठे - बैठे ही हम आकर्षक उपहार को अपनी मां ते पहुंचा सकते हैं। यही नहीं आज आॅनलाईन बाजार में मदर्स डे पर कई स्पेशल आॅफर्स उपलब्ध हैं जिससे मां के लिए आप अनमोल तोहफा प्रदान कर सकते हैं। यही नहीं ईकाॅमर्स कंपनियां तरह - तरह के आॅफर इस वर्ष भी पेश कर रही हैं, बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं का प्रमोशन किया जा रहा है। एक वेबसाईट ने तो विश्वभर में कारोबार करीब 20 मिलियन डाॅलर तक पहुंचने की बात की है। देश में कई ऐसी ईकाॅमर्स कंपनियां हैं जो लुभावने आॅफर्स देकर ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं।