वैद्यनाथ धाम की महिमा

वैद्यनाथ धाम मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई है, जिसका इतिहास यह है कि एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये. एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये.

फिर शिव जी ने उसके दसों सिर वैसे ही दुबारा कर दिये और बदले में वरदान मांगने को कहा. रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी. शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा. रावण शिवलिंग ले कर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई.

रावण उस लिंग को एक अहीर को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया.इधर उस अहीर से उसे बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया.  लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका को चला गया. इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की मान्यता के अनुसार यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग मनोवांछित फल देने वाला है.

Related News