घूस के देते ही कछुए की चाल से हो रहा काम खरगोश जैसी गति पकड़ लेता है

मुरैना। कर्मचारियों का तय समय पर टेबल पर न मिलना, काम पर देरी से पहुंचना हमारे सरकारी दफ्तरों की पुरानी बीमारी है। इससे एक व्यक्ति की लापरवाही का खामियाजा सैकड़ों लोग भुगतते हैं। यह श्रमशक्ति का भारी नुकसान है और 'अधूरी आजादी' का प्रतीक है।

बायोमैट्रिक उपस्थिति और सीसीटीवी कैमरों से इस पर लगाम लगाने की कोशिश कई जगह हो रही है लेकिन मंजिल अभी काफी दूर है।विशेष पहल के तहत मुरैना में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया आम आदमी के माध्यम से देखी। पता चला कि कर्मचारी छोटे से काम के लिए यहां से वहां चक्कर लगवाते हैं।

घूस के लिए रुपए देते ही कछुए की चाल से हो रहा काम खरगोश जैसी गति पकड़ लेता है। कीमती वक्त खराब न हो इसलिए आम आदमी रिश्वत देने के लिए तैयार भी हो जाता है। 

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