एक साल पहले की बात है कुछ यादें धुंदली सी, कुछ अभी भी याद है। नये साल का दिन था नया, नयी उम्मीदों का उत्साह नया। सोचा ... आजसे सब कुछ नया होगा, पुराने गलती यों में सुधार होगा। अपने इरादों पे अटल रहूँगा, टेढ़ी दुम सीधी रखूँगा। संकल्पों की बना के सूची, मैंने खुदको बदलने की सोची। सबकुछ कितना आसान था, कुछ ही चीजों को जो सुधारना था। कई दिनों तक डटा रहाँ मैं, पूरी निष्ठासे लगा रहाँ मैं। धीरे धीरे समझ मे आया, बुरी आदतों का घना था साया। कुछ हफ्तों मे वही हुवा.. जो हर साल होता आया था, आदतोंसे मजबूर राही... पुराने चौराहे लौट आया था। सालों के तजुर्बे से ... अब थोडी सी अकल आयी है, नये साल मे संकल्प न करने की... नयी तरकीब अपनाई है।