वडोदरा: मेमन कॉलोनी स्थित कब्रिस्तान इन दिनों कई लोगों के रहने का ठिकाना बना हुआ है. यह जगह बडोदरा के कपुरै से 3 किमी अंदर है. यहां से तीन सौ परिवारों को स्वच्छता के नाम पर हटा तो दिया गया, लेकिनअब इनके पास रहने क कोई ठिकाना नहीं है. इनमें से अधिकतर परिवार मुस्लिम है. हांलाकि इनसे पुनर्वास का वादा जरुर किया गया था। इनसे वादा किया गया था कि इन्हें शहरी गरीब आवास योजना की बुनियादी सेवाओं की स्कीम के तहत सस्ते मकान उपलब्ध कराए जाएंगे. बता दें कि कपुरै के हिंदुओं ने मुसलमानों को वहां न बसाने के लिए आग्रह किया था। कब्रिस्‍तान के अंदर रह रही 62 साल की बानुबीबी गुलाम नबी, बच्चो को इमली तोड़ने से मना करते हुए कहती है यह अल्लाह का घर है। हमें इन फलों को खाने की इजाजत नहीं है. बानुबीबी जैसी और भी 25 महिलाएं है जो अपने बच्चों के साथ इस क्रबिस्तान में रहने को मजबूर हैं. हिदुओं ने अपने पत्र में लिखा है कि मुसलमानों के कॉलोनी में रहने से यहां के शांतिप्रिय माहौल को चोट पहुंची. क्‍योंकि वे रोजाना गाली-गलौज और मारपीट करते हैं। हांला कि वीएमसी ने विस्थापितों के लिए सस्ते घर के तहत ड्रॉ आयोजित किया था. जिसमें इन्हें घर का पजेशन लेने से पहले 25000 रुपए जमा करने थे. घर की कुल कीमत 1.3 लाख है. कब्रिस्तान में रह रही महिलाओं के लिए भोजन की व्यवस्था मुस्लिम संस्थाएं करती है।