अब संसद की कैंटीन में मिलेगा महंगा खाना, तीन गुना बढ़ेगी कीमत

नई दिल्ली : कम कीमत में खाने के नाम पर सुर्ख़ियो में रहने वाले देश के संसद का कैंटीन में खाने की कीमत में नए साल की शुरआत के साथ माननीय और अन्य लोगों को तीन गुना अधि‍क कीमत चुकानी पड़ेगी. जानकारी है की संसद के कैंटीन में कैंटीन में खाने-पीने की वस्तुओ के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है. नो प्रॉफिट नो लॉस फॉर्मूले के तहत गुणवत्ता में सुधार लाने की कवायद के तहत अब वस्तुओ की कीमत निर्धारित की जाएगी.

जानकारी दे की इस मामले में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने फूड कमिटी की सिफारिशों पर अपना डिसीजन ले लिया है और इस बारे निर्देश भी जारी किये जा चुके है.

एक साल में 14 करोड़ रुपये की सब्सिडी-

जून 2015 में मिली खबरों के हवाले से एक साल में संसद भवन की कैंटीनों में खाने-पीने पर करीब 14 करोड़ रुपये से भी अधिक सब्सिडी दी गई है. वही आपको बताते चले की उत्तरी रेलवे के द्वारा संसद भवन परिसर में करीब आधा दर्जन कैंटीनों का संचालन किया जाता है. और सब्सिडी की रकम लोकसभा सचिवालय की ओर से दी जाती है.

RTI कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल को लोकसभा सचिवालय ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2013-14 के दौरान लोकसभा सचिवालय ने 14 करोड़ 9 लाख रुपये की सब्सिडी कैंटीनों के लिए प्रदान की. जब सुभाष ने कैंटीनों में परोसे जा रहे खाने की कीमतों के बारे में जानकारी मांगी तो मालूम पड़ा की संसद कैंटीनों में जो मसाला डोसा दिया जा रहा है उसकी कीमत 6 रुपए ली जा रही है जबकि सामग्री सहित उसकी कीमत उत्तरी रेलवे को 23.26 रुपये पड़ रही है.

ठीक इसी प्रकार मटन करी 20 रुपये में परोसी जा रही है, जबकि उसकी कीमत 61.36 रुपये पड़ रही है. लोकसभा सचिवालय के मुताबिक खाने-पीने पर सब्सिडी के खर्चे में वृद्धि होती ही जा रही है.

आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो, 2009-10 में यह 10.46 करोड़ रुपये था, जो 2012-13 में बढ़कर 12.52 करोड़ और इसके एक साल बाद ही 14.09 करोड़ तक पहुंच गया. इसके बाद के आंकड़े अभी तैयार नहीं हो पाए हैं. बता दे की संसद की कैंटीनों में खाने-पीने की कीमतों को लेकर सोशल मीडिया पर हमेशा आलोचनाए होती रही है.

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