अग्नि को विभिन्न कार्यों में भिन्न - भिन्न नामों से सम्बोधित किया जाता है - 1. गर्भाधान में अग्नि को "मारुत" कहते हैं। 2. पुंसवन में "चन्द्रमा', 3. शुगांकर्म में "शोभन", 4. सीमान्त में "मंगल", 5. जातकर्म में 'प्रगल्भ", 6. नामकरण में "पार्थिव", 7. अन्नप्राशन में 'शुचि", 8. चूड़ाकर्म में "सत्य", 9. व्रतबन्ध (उपनयन) में "समुद्भव", 10. गोदान में "सूर्य", 11. केशान्त (समावर्तन) में "अग्नि", 12. विसर्ग (अर्थात् अग्निहोत्रादिक्रियाकलाप) में "वैश्वानर', 13. विवाह में "योजक", 14. चतुर्थी में "शिखी" 15. धृति में "अग्नि", 16. प्रायश्चित (अर्थात् प्रायश्चित्तात्मक महाव्याहृतिहोम) में "विधु', 17. पाकयज्ञ (अर्थात् पाकांग होम, वृषोत्सर्ग, गृहप्रतिष्ठा आदि में) 'साहस', 18. लक्षहोम में "वह्नि", 19. कोटि होम में "हुताशन", 20. पूर्णाहुति में "मृड", 21. शान्ति में "वरद", 22. पौष्टिक में "बलद", 23. आभिचारिक में "क्रोधाग्नि", 24. वशीकरण में "शमन", 25. वरदान में "अभिदूषक", 26. कोष्ठ में "जठर" और 27. मृत भक्षण में अग्नि को "क्रव्याद" कहा गया है। एक नहीं बल्कि अनेक नाम है साई बाबा के