फिर कोई गीत लिख दूँ

फिर कोई गीत लिख दूँ" समां है सुहाना हवा में सुरूर है है घटाओं का मौसम तेरी जुल्फों पे आज फिर कोई गीत लिख दूँ - - - - बारिश का मौसम है तनहा फिर बैठा हूँ याद कर मुहब्बत अपनी बेवफाई पे तेरी फिर कोई गीत लिख दूँ - - - - कहाँ हो कैसी हो अब लगती हो कैसी बचपन की यादें हैं फिर उस ज़माने की  कोई बात लिख दूँ - - - - मुझे कल भी था प्यार तुम प्यारी हो अब भी अकेला हूँ बहुत जुदाई में तुम्हारी फिर कोई गीत लिख दूँ - - - - तुमको कभी भूला नहीं पहले पहले प्यार की हर बात याद है हर रोज आती है याद तेरी यादों पे आज फिर कोई गीत लिख दूँ 

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