इकॉनमी ग्रोथ के लिए खुलकर पैसा खर्च कर रही सरकार

नई दिल्ली : इन्वेस्टमेंट में तेजी लाने के लिए अब फाइनैंस मिनिस्ट्री खुलकर खर्च कर रही है। उसने अन्य मंत्रालयों और सरकारी विभागों से भी खर्च शुरू करने को कहा है, ताकि इकनॉमिक ग्रोथ में तेजी आ सके। अब तक प्राइवेट सेक्टर की ओर से इन्वेस्टमेंट सुस्त ही रहा है। अब फाइनैंस मिनिस्ट्री का जोर कैपिटल एक्सपेंडिचर पर है। अप्रैल-मई के बीच इनडायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू में 39.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। मिनिस्ट्री इसका फायदा उठाकर ग्रोथ तेज करना चाहती है। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, 'हमने मंत्रालयों से खर्च बढ़ाने को कहा है।' सरकार रोड, शिपिंग, रूरल डिवेलपमेंट और ऐग्रिकल्चर पर पैसा खर्च करने पर जोर दे रही है। रिजर्व बैंक ने इंटरेस्ट रेट कट को लेकर कंजर्वेटिव रवैया अपनाया हुआ है।

RBI ने जनवरी के बाद से रेपो रेट में 0.75 पर्सेंट की कटौती की है। आलोचकों का कहना है कि सेंट्रल बैंक रेट घटाने के मामले में समय से पीछे चल रहा है। वे इस संदर्भ में एशियाई देशों का हवाला दे रहे हैं। पूरे फाइनैंशल इयर के लिए उसने जितना पैसा खर्च करने का लक्ष्य रखा है, उसका 8.7 पर्सेंट उसने अप्रैल में खर्च किया गया है। जो पिछले 20 साल में सबसे ज्यादा है। फाइनैंस मिनिस्ट्री के अधिकारी ने बताया, 'सरकार के इस कदम से इकनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी।'

फाइनेंसियल इयर 2016 में केंद्र ने कुल 17.77 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इंडिया रेटिंग के चीफ इकनॉमिस्ट डी के पंत ने बताया, 'सरकार के शुरू में ज्यादा पैसा खर्च करने का फायदा यह होगा कि प्राइवेट सेक्टर की ओर से भी निवेश जल्द शुरू हो जाएगा।'

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