FILM REVIEW : इस 'काबिल' की काबिलियत हैं लाजवाब

अभिनेता रितिक रोशन और यामी गौतम स्टारर फिल्म 'काबिल' एक बदलें की दिलचस्प स्टोरी हैं। इससे पहले आमिर खान की फिल्म गज़नी में हम बदले की कहानी को पसंद कर चुके हैं। यहाँ नायक हमारे सिस्टम से थक हारकर खुद ही बदला लेने निकल जाता हैं। मालूम हो कि राकेश रोशन पहले भी बदले की कहानियां फिल्मों में लाते रहे हैं। उनकी फिल्म ‘खून भरी मांग’ और ‘करण-अर्जुन’ तो आपको याद होगी। 

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कहानी: रोहन यानि रितिक रोशन एक डबिंग आर्टिस्ट है। वह अंधा है जिसकी मुलाकात मुखर्जी आंटी सुप्रिया (यामी गौतम) से करवाती हैं। सुप्रिया भी अंधी है। दोनों को पहली मुलाकात ही करीब ला देती हैं। इसके बाद जल्द ही दोनों की शादी हो जाती है। रोमांस और डांस के सुंदर पल इसी दौरान फिल्म में आते हैं। जिसमें रितिक रोशन और यामी गौतम की जोड़ी खूब जंचती हैं। 

इसके बाद रोहन की बस्ती में ही शेलार बंधु की फैमिली रहती हैं। यह परिवार सत्ता के नशे में चूर हैं। यही वजह है कि शेलार बंधू का छोटा भाई बेजा हरकत कर बैठता हैं। यहाँ से रोहन कि जिंदगी बदल जाती हैं। रोहन को उम्मीद रहती है कि उसे पुलिस की मदद मिलेगी। आख़िरकार उसे निराशा मिलती हैं और वह पुलिस अधिकारी को खुली चुनौती देते हुए कहता है, ‘आप की आंखें खुली रहेंगी, लेकिन आप देख नहीं पाएंगे। आप के कान खुले रहेंगे, पर आप सुन नहीं पाएंगे। आप का मुंह खुला रहेगा, पर आप कुछ बोल नहीं पाएंगे। सबसे बड़ी बात सर, आप सब कुछ समझेंगे, पर किसी को समझा नहीं पाएंगे।‘

इंटरवल के ठीक पहले रोहन की दी गई यह चुनौती दर्शकों की जिज्ञासा बढ़ा देता हैं कि एक अकेला और अंधा रोहन कैसे सिस्टम के समर्थन से बचे गुनहगारों से लड़ेगा। इसके बाद 'काबिल' स्वाभाविक रूप से अपनी काबिलियत साबित करता हैं ।

अभिनय: फिल्म में रितिक रोशन ने रोहन के आत्मविश्वास को स्वाभाविक रूप से पर्दे पर प्रेजेंट किया है। वे सफलता पूर्वक आम दर्शकों को रिझाते है। रोहन के किरदार को सटीक ढंग से परदे पर बयान किया गया हैं । उंगली और पांव की मुद्राओं से उन्होंने अपने अंधे चरित्र को लाजवाब बना दिया। यामी गौतम ने भी अपने किरदार के प्रति न्याय किया हैं। रोनित रॉय और रोहित रॉय सगे भाइयों की कास्टिंग शानदार है। पुलिस अधिकारी चौबे की भूमिका में नरेंद्र झा याद रहेंगे । 

संगीत: फिल्म का म्यूजिक फिल्म की जान हैं। फिल्म का टाइटल सांग 'काबिल हूँ' पहले ही पसंद किया जा रहा हैं । डांस के सीक्वेंस में कोरियोग्राफर अहमद खान ने उन्हें ऐसे डांसिंग स्टेप दिए हैं कि रोहन दृष्टिबाधित चरित्र जाहिर हो। साथ ही एक्शन डायरेक्टर शाम कौशल का काम भी बेहतरीन हैं । 

डायरेक्शन: भारतीय समाज में पुलिस और प्रशासन की पंगुता चिर स्थाई हैं । जिसे डायरेक्टर संजय गुप्ता ने बखूबी प्रेजेंट किया है। संजय गुप्ता ने अमेजिंग एक्शन सीन नहीं दिए हैं लेकिन घटनाओं और कहानी के हिसाब से एक्शन विश्वसनीय हैं । फिल्म में संजय के मासूम संवाद बेहतरीन हैं। उन्होंने छोटे वाक्य और आज के शब्दों में भाव को बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया है। संवाद चुटीले, मारक, अर्थपूर्ण और प्रसंगानुकूल हैं।  

न्यूज ट्रैक रेटिंग: फिल्म में इमोशन के साथ फुल एक्शन हैं। ऐसे में हम इसे 4 स्टार देंगे। 

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