कमजोर पटकथा, कमजोर अभिनय 'जय गंगाजल'

आज रिलीज हुई 'जय गंगाजल' फिल्म मे प्रकाश झा ने प्रियंका चोपड़ा पर दाव खेला है. ये फिल्म सामाजिक मुद्दों पर बनाई गई है. झा इससे पहले भी सामाजिक मुद्दों पर कई फिल्में 'आरक्षण', 'सत्याग्रह' और 'गंगाजल' बना चुके हैं. जो खासी सफल रहीं थी. और आज उनकी 'जय गंगाजल' पर्दे पर है तो आइये बात करते है 'जय गंगाजल' की...

फिल्म की कहानी बांकेपुर शहर पर आधारित है जहां विधायक बबलू पाण्डेय (मानव कौल) का दबदबा है और बी एन सिंह (प्रकाश झा) वहां के सर्कल बाबू उर्फ DSP हैं जो बबलू पाण्डेय के वफादार हैं. जब बांकेपुर में नए SP आभा माथुर (प्रियंका चोपड़ा) की एंट्री होती है तो बबलू पाण्डेय से उनका सामना होता है और कहानी आगे बढ़ने लगती है.

फिल्म का प्लॉट जमीन माफियों, मंत्री, पुलिस और आम आदमी के इर्द गिर्द ही घूमता है हालांकि इसके बाद भी लोग किसी भी सीन से खुद को जोड़ने में नाकाम ही रहे . फिल्म बहुत ही कमजोर और लम्बी है. जिसके चलते 2 घंटे 38 मिनट की इस फिल्म में कई बार आप बोरियत भी महसूस कर सकते है.फिल्म की स्क्रिप्ट की बात करें तो इसमें कोई नयापन नहीं है. फिल्म मे ऐसे कई डायलॉग्स हैं जो आपको पुरानी फिल्मों के डायलॉग्स की याद दिलाते हैं 

फिल्म में 'बबलू पाण्डेय' के रूप में मानव कौल ने शानदार अभिनय किया है. उन्होंने इसके पहले भी फिल्म 'वजीर' में अच्छा काम किया था. वहीं प्रियंका चोपड़ा फिल्म में तो हैं लेकिन कुछ सीक्वेंस में उनकी कमी खलती है, और कभी-कभी उनके डायलॉग्स जिन्दा नहीं लगते.

फिल्म में असली हीरो के रूप में प्रकाश झा को दिखाया गया है जो ज्यादातर सीन में हैं. लेकिन उनकी एक्टिंग काफी फीकी रही. इस फिल्म में डब्लू पाण्डेय के किरदार में निनाद कामत ओवर एक्टिंग करते हुए नजर आते हैं. वहीं राहुल भट का किरदार भी फिल्म में क्यों था, इसका आखिरी तक पता नहीं चला. फिल्म का संगीत अच्छा है और फिल्म के सारे दृश्यों को सपोर्ट करता है.

Related News