फिल्म रिव्यु : सबकी बजेगी बैंड

डेब्यू डायरेक्टर अनिरुद्ध चावला की फिल्म 'सबकी बजेगी बैंड' बॉक्स ऑफिस पर आज दस्तक देने को तैयार है. डायरेक्टर अनिरुद्ध चावला ने फिल्म में भूमिका तो काफी अच्छी बांधी है लेकिन इसे सही अंजाम तक नहीं लेजा सके.फिल्म की कहानी- दिल में डायरेक्टर बनने के सपने को फिल्म में उतरने के लिए करण (अमन उप्पल) अपने सारे दोस्तों को फार्म हाउस पर बुलाता है और सभी को अलग अलग तरह के सवालों के जवाब देने को कहता है. दोस्तों में अमित (सुमित व्यास), जया (स्वरा भास्कर), हर्ष (आलेख संगल), सेवी (शौर्या चौहान),डी के (समर्थ शांडिल्य) इत्यादि होते हैं और अलग अलग तरह के कभी सीधे साधी, तो कभी डबल मीनिंग और एडल्ट बात चीत करते हैं और ये सब कुछ एक हैंडी कैम में करण खुद रेकॉर्ड कर लेता है और फिल्म बना लेता है.

फिल्म आने से पहले जब ट्रेलर परोसा गया था तो लगता था की ये फिल्म कॉन्ट्रोवर्सी के साथ साथ कई सारे राज खोलेगी. लेकिन स्टोरी के साथ साथ फिल्मांकन भी बहुत हिला डुला सा था. सबसे बड़ा सवाल ये पैदा होता है की ये फिल्म ना होकर एक धारावाहिक या फिर किट्टी पार्टी टाइप से फिल्माई गई है जो एक पल के लिए भी चेहरे पर खुशी नहीं लाती है, सब कुछ बहुत ही बनावटी और निरर्थक सा लगता है.

सेक्स से सम्बंधित सवालात हो रहे हैं और सभी जवाब भी देते जा रहे हैं जो की बिलकुल भी मनोरंजित नहीं करता. कभी आइटम सांग, लव मेकिंग सीन, फनी जोक्स, कास्टिंग काउच तो कभी वर्जिनिटी के सवाल जवाब भी होते हैं. कई जगहों पर इस फिल्म की तुलना मधुर भंडारकर की 'पेज 3 ' से की जा रही थी, लेकिन यकीन मानिए पेज 3 कई गुने बेहतर फिल्म थी. कुल मिलकर फिल्म देखने जाना अपने पैसे बर्बाद करना है.

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