गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है. यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है. यह नदी−नालों के किनारे एवं दलदली स्थानों पर उगता है. उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है. गूलर के फायदे - 1- गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है. इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते. साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं. पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है. 2-मुंह के छाले हों तो गूलर के पत्तों या छाल का काढ़ा मुंह में भरकर कुछ देर रखना चाहिए. इससे फायदा होता है. इससे दांत हिलने तथा मसूढ़ों से खून आने जैसी व्याधियों का निदान भी हो जाता है. यह क्रिया लगभग दो सप्ताह तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें. 3-नेत्र विकारों जैसे आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में भी गूलर उपयोगी है. इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ और महीन कपड़े से छान लें. ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें. इससे नेत्र ज्योति भी बढ़ती है. 4-नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है. सेहत का खज़ाना - किशमिश