फरियाद करना क्या जरूरी था

सब़क भूला हुआ वो याद,करना क्या जरूरी था..!! दुआ मेरे लिये फरियाद,  करना क्या जरूरी था..!  ख़ता ग़र थी मेरी तो माफ,करना क्या जरूरी था..!! नज़र तो दूर तुम साये से भी बचकर निकलते थे,  पकड़ कर हाथ मेरे साथ,चलना क्या जरूरी था..!! भुला जिसको दिया तुमनें,  जरुरत क्या पड़ी उसकी,  सब़क भूला हुआ वो याद,करना क्या जरूरी था..!! जिसे तुम अज़नबी कहकर,  कहीं कल छोड़ आये थे,  उसीसे दिलकी सारी बात,कहना क्या जरूरी था..!! तुम्हें मालूम है "वीरान",  उसकी आखिरी मंजिल, वहीं से फिर नयी शुरुवात,करना क्या जरूरी था..!! 

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