हम न उर्दू, न हिंदी में ग़ज़ल कहते हैं, हम तो बस आपकी बोली में ग़ज़ल कहते हैं, जो अमीरी में ग़ज़ल कहते हैं, कहते होंगे, सच्चे शायर तो, फकीरी में ग़ज़ल कहते हैं...