फैसला लिख दीजिये

फैसला लिख दीजिये, अब इश्क़ के करार पे..! अटकी हुई है जिंदगी,अब मौत की कगार पे..!! उम्र भर की जी-हुजूरी, का सिला कुछ दीजिये, थोड़ा रहम तो कीजिये,अपने खिदमतगार पे..!! तस्दीक़ कर दो आज तुम, चूम कर मेरा कफ़न,  या दुआ पढ़ देना मेरे,खातिर किसी मज़ार पे..!! किस लिए तुमने कभी, अपना मुझे समझा नहीं, या फिर भरोसा था नहीं,तुमको हमारे प्यार पे..!! तुमने बदले रंग कितनें, अपनी उल्फत में मगर, लेकिन टिके हम रहे,बस अपने ही किरदार पे..!! कहके तुम हमसे गये थे, लौटकर हम आयेंगें, "वीरान" है अब भी खड़ा,खंडहर हुई दीवार पे..!! 

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