जानें क्यों दी जाती हैं बकरीद पर जानवरों की कु़र्बानी

ईद-उल-ज़ुहा एक प्रमुख इस्लामिक त्यौहार है, इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. ये मुस्लिमों का दूसरा प्रमुख त्यौहार जिसे वो धूम धाम से मनाते हैं. ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर मुस्लिम संप्रदाय के लोग "अल्लाह के प्रति अपनी आस्था और वफादारी दिखाने" के लिए बकरे या अन्य जानवरों की कु़र्बानी देते हैं. इसी तरह वो अपने इस त्यौहार को मनाते हैं. बता दें,  इस वर्ष भारत में ईद-उल-ज़ुहा (बकरीद) का त्यौहार "12 अगस्त 2019" को मनाया जाएगा. जानिए इसके बारे में कुछ तथ्य. 

बकरीद पर कु़र्बानी 

ईद के त्यौहार के बारे में आप जानते ही हैं कि इस दिन लोग ईद की नमाज़ के बाद जानवर की कु़र्बानी देते हैं और मांस को तीन हिस्सों में बांट देते हैं. एक हिस्सा अपने पास रखते हैं, दूसरा सगे-संबंधियों तथा दोस्तों को और तीसरा हिस्सा गरीबों को दिया जाता है. इस तरह उनका ये त्यौहार पूरा होता है और जश्न मनाया जाता है. लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है इसके बारे में भी जान लें. 

दरअसल, इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक हदीस के अनुसार ईद उल जुहा के मौके पर कुर्बानी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. यह अल्लाह के प्रति मन में बसे लगाव और प्रेम को इजहार करने का एक तरीका माना जाता है. क़ुर्बानी के समय मन में सच्ची भावना और श्रद्धा रख यह सुनिश्चित किया जाता है कि अल्लाह के लिए ही सब कुछ है, जो है वह अल्लाह ही है. इस पर्व का मुख्य संदेश है कि इंसान को सच्चाई की राह पर कुछ भी न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

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