स्कूलों में बच्चों को लगाई जा रही Expired कोरोना वैक्सीन ?

नई दिल्ली: फेक न्यूज फैलाने को लेकर न्यूज़ चैनल NDTV और उसके पत्रकार अक्सर विवादों में घिर जाते हैं और मीडिया समूह होने के बाद भी उन्हें खुद जनता सच्चाई से अवगत कराती है। इसी कड़ी में NDTV के पत्रकार विष्णु सोम ने एक बार फिर जनता को भ्रमित करने का काम किया है। दरअसल, सोम ने भारत बायोटेक की Covaxin की शेल्फ लाइफ को लेकर ट्विटर पर केंद्र सरकार पर झूठा आरोप लगाया है। NDTV के पत्रकार सोम ने एक यूजर के ट्वीट का हवाला दिया है, जिसने COVID-19 वैक्सीन की शेल्फ लाइफ बढ़ाने वाला एक पत्र ट्विटर पर शेयर किया था, ताकि वह यह बता सके कि स्कूलों में बच्चों को Covaxin के एक्सपायर्ड डोज़ लगाए जा रहे हैं।

नवनीता वरदपांडे द्वारा किए गए ट्वीट में लिखा हुआ है कि, 'मेरा बेटा अपनी पहली वैक्सीन लेने गया, बच्चों के लिए आज से टीकाकरण अभियान आरंभ हो गया है, किन्तु तभी मुझे याद आया कि वैक्सीन तो नवंबर में ही ख़त्म हो चुकी है। फिर उसे एक पत्र दिखाया गया, जिसमें कोराना टीके की शेल्फ लाइफ बढ़ा दी गई है! कैसे, क्यों, किस आधार पर? स्टॉक क्लियर करने के लिए आप बच्चों पर एक्सपेरिमेंट करते हैं?' इस ट्वीट में लगाए गए आरोप की सच्चाई जाने बिना ही सोम ने नवनीता वरदपांडे की पोस्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया पर आरोप मढ़ दिए। NDTV के सोम ने स्वास्थ्य मंत्री से पुछा कि 'क्या बच्चों के लिए एक्सपायर्ड हो चुकी वैक्सीन को स्वीकृति देने की औपचारिक अधिसूचना जारी की जा सकती है?'

यहाँ गौर करना जरुरी है कि, 25 अक्टूबर 2021 को भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के पत्र के जवाब में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने Covaxin की शेल्फ लाइफ को नौ माह से बढ़ाकर 12 माह करने पर स्वीकृति दे दी थी। इसी प्रकार, 22 फरवरी, 2021 को ड्रग रेगुलेटर ने भी Covishield की शेल्फ लाइफ को छह माह से बढ़ाते हुए 9 माह कर दी थी। इसलिए केंद्र सरकार पर यह इल्जाम लगाना कि 'बगैर किसी सूचना के ही शेल्फ लाइफ बढ़ा दी गई' सिर्फ सरकार की छवि को धूमिल करने का और लोगों में भ्रम पैदा करने का एक भद्दा प्रयास भर है। लोगों में वैक्सीन के प्रति भ्रम पैदा करने और केंद्र सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने वाले चैनल के पत्रकार सोम ने यह झूठा आरोप लगाने से पहले अपने ही न्यूज़ चैनल द्वारा कवर की गई खबर को भी देखना जरुरी नहीं समझा। बता दें कि NDTV खुद उन मीडिया संस्थानों में शामिल था, जिसने भारत बायोटेक के Covaxin की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की खबरों को कवर किया था। NDTV पर नीचे ​दी गई रिपोर्ट बच्चों का टीकाकरण शुरू होने से ठीक दो माह पूर्व 3 नवंबर, 2021 को छपी थी।

NDTV के पत्रकार को अपने ही चैनल की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट्स को देखे बगैर ही केंद्र पर इल्जाम लगा दिया हो, लेकिन सोशल मीडिया यूज़र्स की नज़र से कुछ नहीं छिपता। उन्होंने इस झूठ को फैलाने के लिए NDTV को जमकर लताड़ा। अजित दत्ता ने NDTV की खबर का स्क्रिनशॉट साझा कर उन्हें याद दिलाया कि 'Covaxin की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की खबर आपके संस्थान ने भी कवर की थी।' वहीं, कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने NDTV के पत्रकार पर तंज कसते हुए पुछा कि क्या आपको अपने ही चैनल पर भी विश्वास नहीं है।

बता दें कि 3 जनवरी से भारत में 15-18 वर्ष के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो चुका है, पहले दिन ही 40 लाख से अधिक बच्चों को वैक्सीन की पहली खुराक भी दी जा चुकी है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच एक ओर जहां भारत सरकार टीकाकरण को तेज करने के लिए जोर लगा रही है,  ताकि लोगों को सुरक्षित किया जा सके, वहीं NDTV इस तरह की भ्रामक बातें फैलाकर जनता के मन में वैक्सीन के प्रति भय पैदा करने का काम कर रहा है। इससे पहले भी जब वैक्सीन बनी थी, तब भी कई विपक्षी दलों ने टीकाकरण में सहयोग करने के बजाए, उलटा इस पर सवाल खड़े कर दिए थे। सपा प्रमुख अखिलेश ने तो यहां तक कह दिया था कि 'मैं भाजपा सरकार कि वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा।'

शायद उन्हें यह पता नहीं होगा कि यह वैक्सीन नरेंद्र मोदी, अमित शाह या जेपी नड्डा ने नहीं, बल्कि देश के वैज्ञानिकों ने बनाई थी। लेकिन उन्हें केवल भ्रम फैलाना था, जो उन्होंने किया भी। हालांकि, जब अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव खुद वैक्सीन लगवाने पहुंच गए, तो अखिलेश ने भी अपनी बात से पलटी मारते हुए टीका लगवा लिया। 

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