पूर्व सैनिक भी चले साहित्यकारों की राह, OROP के प्रावधान का विरोध

नई दिल्ली : वन रैंक वन पेंशन योजना सैनिकों के लिए लागू तो हो गई लेकिन पूर्व सैनिक इस योजना के विभिन्न प्रावधानों से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में धरना आंदोलन पर बैठे पूर्व सैनिकों ने अपने आंदोलन में बदलाव किया है। पूर्व सैनिक काले झंडे लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपना प्रदर्शन करते रहे। यही नहीं उन्होंने वन रैंक वन पेंशन पर सरकार की अधिसूचना से असंतुष्ट पूर्व सैनिकों ने अब साहित्यकारों की तर्ज पर ही अपने मैडल लौटाने की तैयारी कर ली है।

जंतर - मंतर पर मंगलवार को पूर्व सैनिकों ने एकत्रित होकर सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की और इसका विरोध किया। हालांकि पूर्व सैनिकों के विरोध प्रदर्शन को रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने जायज़ नहीं ठहराया। उन्होंने कहा कि यह विरोध का सही तरीका नहीं है। इस तरह से पदक वापस नहीं दिए जाने चाहिए।

जो पूर्व सैनिक  मैडल वापस लौटा रहे हैं उन्हें इनके महत्व की जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि पूर्व सैनिक अपनी परेशानियों को सरकार के सामने रख कर चर्चा कर सकते हैं। सरकार ने जो आयोग गठित किया है। पूर्व सैनिक वहां अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि वन रैंक वन पेंशन को सरकार अधिसूचना जारी होने जाने के बाद लागू कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों द्वारा विरोध करना आंदोलन करना यह उनका अधिकार है लेकिन उन्हें मैडल नहीं लौटाए जाने चाहिए। उन्हें भटकाया जा रहा है। यूनाइटेड फ्रंट आॅफ एक्स सर्विस मैन के अध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह ने यह भी कहा कि वन रैंक वन पेंशन से पूर्व सैनिक असंतुष्ट हैं।

उन्होंने सरकार के सामने अपनी मांगें रखी थीं जिसमें उन्होंने कई मांगों को दरकिनार किए जाने पर आक्रोश जताया है। समूह कैप्टन वीके गांधी ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से वन रैंक वन पेंशन के लिए अधिसूचना जारी की गई थी मगर ओआरओपी पूर्व सैनिकों के अनुरूप लागू नहीं हो पाया है ऐसे में वे अपना विरोध जारी रख रहे हैं। 

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