ऐसा अपना सफ़र निकले

निकले हम कहाँ से और किधर निकले; हर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकले; तूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बात; तेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले।

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