भयानक भूकंप के कारण ताजमहल पर आई शामत

आगरा : विश्वदाय स्मारक ताजमहल को लेकर चिंताए बढ़ गई है दरअसल, भूकंप के झटकों के बाद विश्वदाय स्मारक ताजमहल की मजबूती के दावों को बुधवार को बड़ा झटका लगा। भयानक भूकंप के कारण ताजमहल में बनी सरहिंदी बेगम के मकबरे के छज्जे में लगा पत्थर टूट गया और सीधे सैलानियों के लिए बने शेड के ऊपर आ गिरा। गनीमत रही कि सुबह हुए इस हादसे के समय भीड़ कम थी और शेड के नीचे पर्यटक नहीं थे।

बुधवार सुबह करीब आठ बजे ताजमहल पूर्वी गेट पर सैलानियों के प्रवेश का सिलसिला चल रहा था। उसी दौरान अचानक तेज आवाज हुई और पर्यटकों में हलचल मच गई। एएसआइ कर्मचारी भी बाहर निकल आए, उन्होंने देखा पूर्वी गेट के अंदर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के कार्यालय के ऊपर स्थित सरहिंदी बेगम के छज्जे में लगा पत्थर टूटकर शेड के ऊपर गिरा हुआ था। इससे पहले भी हो चुके हैं हादसे

ताज में पत्थर गिरने का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पत्थर निकलकर गिरते रहे हैं। जानकारों के मुताबिक ताज में पत्थरों में लगा मसाला वक्त के साथ कमजोर हो रहा है। इसके कारण आए दिन स्मारक को नुकसान हो रहा है। पच्चीकारी में लगे ज्यादातर पत्थर निकल चुके हैं। पत्थर टूटने की जानकारी मिलने से एएसआइ अधिकारियों में भी खलबली मच गई। उन्होंने मकबरे का निरीक्षण किया। हालांकि अब मामले पर पर्दा डालने की कसरत शुरू हो गई है।

ताज के संरक्षण सहायक रामरतन ने बताया कि ताज में बंदरों की सक्रियता बढ़ रही है, उन्हीं की उछलकूद से पत्थर गिर गया है। मामले में अधीक्षण पुरातत्वविद आगरा सर्किल भुवन विक्रम ने बताया कि मामले की जानकारी ली जा रही है। पत्थर क्यों निकला, इसका परीक्षण किया जाएगा। चार साल पहले ही हुआ था सरहिंदी बेगम के मकबरे का संरक्षण सरहिंदी बेगम के मकबरे का पत्थर गिरने से संरक्षण कार्य पर भी सवाल उठ रहे हैं। वर्ष 2011 में ही इस मकबरे पर संरक्षण कार्य कराया गया था, इसमें 25 लाख रुपये खर्च हुए थे। 

बीते दिनों आए भूकंप के बाद स्मारक की मजबूती को नुकसान पहुंचने के सवाल भी उठ रहे हैं। इससे पूर्व वर्ष 1803 में आए भूकंप में ताज की मीनारों में दरारें आ गई थीं और उनमें चांदी पिघलाकर भरी गई थी। इतिहासकार बिशन कपूर ने अपनी किताब ग्लिप्सिस ऑफ आगरा में 20वें पृष्ठ पर इसका उल्लेख किया है। 81 साल बाद इतनी अधिक तीव्रता का भूकंप आया है। हालांकि एएसआइ ने अब तक भूकंप के झटकों के बाद ताज की मजबूती की परख कराने की कोई पहल नहीं की है।

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