सोने से ज्यादा महँगी आपकी एक सेल्फी, देश को कर्ज में डुबो रही है

आपका सेल्‍फी लेने का शौक देश को कर्जदार बना रहा है. जी हा बात मामने में जरा असहज लग रही है मगर सत्य है. महंगे से महंगे स्‍मार्टफोन का इस्‍तेमाल हम कर रहे है और इन इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी की कीमत देश को चुकानी पड़ रही है. इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के कारण तेल के बाद भारत को सबसे ज्‍यादा व्‍यापार घाटा हो रहा है जो फ़िलहाल थमता नज़र नहीं आ रहा है. पहले तेल के बाद सोने का नंबर था.  इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों  में भी सबसे ऊपर है स्‍मार्टफान. टीवी, फ्रिज LCD और अन्‍य सामान भी इस लिस्ट में शामिल है. 

कोटक महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्‍टर उदय कोटक ने ट्वीट किया है कि भारत को चालू खाते में सिर्फ तेल से ही नहीं बल्कि, इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों से चुनौती मिल रही है. उन्‍होंने कहा कि सोने का आयात तीसरे नंबर पर चला गया है, लेकिन पिछले पांच साल में इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों का आयात दोगुना हो गया है. आयत की तुलना में निर्यात का कम होना देश के व्‍यापार नुकसान का बड़ा कारण है. निर्यात और आयात के बीच जो ऋणात्मक अंतर है वही व्यापार घाटा है. रुपया जो की महंगे तेल आयात के कारण दम तोड़ रहा है देश के सेल्फी प्रेम से बुरी तरह प्रभावित है. व्यापर समीकरणों के अनुसार सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के चालू खाते का घाटा 1.9 फीसदी से बढ़कर मार्च 2019 तक 2.3 फीसदी हो जाएगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 13 महीनों में इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों का आयात 57.8 बिलियन डॉलर रहा है, वहीं सोने का आयात 35.8 बिलियन डॉलर रहा है.

मुख्‍य अर्थशास्‍त्री सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के आयात का असर सीधे-सीधे चालू खाते के घाटे पर पड़ रहा है. इस घाटे को कम करने के लिए भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को एकीकृत करे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को इसीलिए बढ़ावा दे रहे हैं कि आयात को कम किया जा सके और स्‍थानीय उत्‍पादों को बढ़ावा मिले. लेकिन बड़ी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर खरीदारी शुरू नहीं की है. 

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