एक तू ही है जिंदगी

एक तू ही है जिंदगी के लिए , मिल जाये तू दो घडी के लिए ! ना गम - ए - दर्द का परवाह हमे , मै तड़पता हूँ अब खुदी के लिए ! इतनी हसरते है कर लिए पैदा , बस अपनी ही जिंदगी के लिए ! एक तू ही तो है मेरा बस हबीब , बन जा जिंदगी मौसिकी के लिए ! ऐसा मौसम है रिक्ज ए गंदूमी का , लब तरस ही गए तिश्रगी के लिए ! हूँ दहकां तो ये मेरा गुनाह नही , दे दो मुझे रिक्ज ए गंदूमी के लिए ! पुरखार ए जीस्त है मेरा तो हबीब , दिखा राह मुझे भी रोशनी के लिए ! उड़ गए घर के पंछी सभी अब तो , बन जा खुदा मुफलिसी के लिए ! ना देना मुझे फिर से गम तू हमदम , बन कुमार लज्जते जिंदगी के लिए !

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