सूनी थी गली था चाँद नहीं, कुछ टूटे वहाँ पर तारे थे.. एक सन्नाटा सा पसरा था,जो थे सब गम़ के मारे थे.. ग़र मेरा इश्क़ उन की,दुआ बन जाये.. मेरा महबूब फिर मेरा,खुदा बन जाये.. मुहब्बत करने वालों का,कोई मज़हब नहीं होता.. इबादत करने वाला का,खुदा भी अज़नबी होता.. झुकाकर सर तेरे सदके में बैठा हूँ खुदा मेरे, तू चाहे इसे सहला दे या चाहे क़लम कर दे.. तेरी हर बात को मैनें,सदा उसकी सदा मानी.. तुम्हारी बेवफाई को,भी है रब की रजा मानी.. कहाँ किस्मत में लिखा था,मैं तेरे ख्वाब में आऊँ.. खुदा ने खुद कहा मुझसे,मैं तेरा ख्वाब बन जाऊँ.. सफर कितना भी मुश्किल हो,नहीं हम डगमगाते हैं.. फरिश्ते जुस्तजू म़जिल मेरी,फलक़ से नीचे आते हैं.. ख़त में लिख करके भेजे थे, कुछ लफ्ज़ मोहब्बत के मैंने, तुमनें ख़त चूम लिया लेकिन, "वीरान"को वापस भेज दिया..