एक दिन पिघल जाएंगे

यूँ किनारे बदलने हो तो किस्ती न बदल  तूं दिशाओं को बदल किनारे खुद बखुद बदल जाएंगे । दिन गरदिश के भी गुजर जाएंगे  कब तक भँवर में रहेगी किस्ती  वक्त ऐ दरिया के दिल भी एक दिन पिघल जाएंगे ।

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