ए मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया

ए मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया कोई आज भी न मेरे साथ आया वो चला गया हमेशा के लिए मेरी परछाई भी रोती है बहुत तू अक्सर ख्वाबों में दस्तक देता था बातों में दस्तक देता था रातों को दस्तक देता था  लेकर करके मेरी सारी खुशियाँ तूने ये दिन क्यों दिखाए

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