बारिश के चलते मेट्रो का सितंबर तक ट्रायल होना मुश्किल

भोपाल। शहर में मेट्रो का मॉक अप आ चूका है। इस मॉक अप को स्मार्ट रोड पर स्थित स्मार्ट पार्क के कॉर्नर पर रखा जाएगा। वही 10 दिन के भीतर इस मॉक अप के लिए प्लेटफार्म बनाने का काम पूर्ण हो जाएगा। भोपाल में आरकेएमपी से सुभाष नगर डिपो तक 4 किमी के रूट पर 25 सितंबर के आसपास मेट्रो के ट्रायल का टार्गेट रखा गया है। इसमें सबसे बड़ा चैलेंज तो यह है की बरसात के चलते 86 दिनों में डिपो का तैयार किया जाना है। लेकिन बारिश इसमें बड़ी बाधा बन सकती है। पिछले सालों का आंकड़ा देखें तो जुलाई-अगस्त-सितंबर में औसतन 55 दिन खुले में काम बहुत मुश्किल है।

बता दे की  मेट्रो के डिपो की लोकेशन ऐसी है कि वहां अरेरा हिल्स का पानी बहुत तेजी से आकर जमा हो जाता है। पिछली बरसात में इस वजह से काम ही रोकना पड़ा था। इस बार यहां ड्रेनेज सिस्टम की एक लेयर बना दी गई है। तेज बारिश की स्थिति में यह लेयर भी करीब 35 से 40 प्रतिशत पानी को बाहर कर सकेगी। शेष पानी बाहर करने के लिए मशीनों और पंप का सहारा लेना पड़ेगा। मेट्रो के संचालन के लिए यहां स्टेबलिंग यार्ड, इंस्पेक्शन बे और रिपेयर बे तैयार किए जा रहे हैं। इनका काम लगभग 55 प्रतिशत हुआ है। भोपाल में जुलाई और अगस्त तेज बारिश के महीने होते हैं।

भोपाल में यदि जुलाई-अगस्त में कम से कम 15-15 दिन और अगस्त में 8 दिन भी बारिश हुई और पानी निकलने व जमीन सूखने के समय को जोड़ा जाए तो कम से कम 50-55 दिन खुले में कोई काम नहीं होगा। जिससे डिपो का काम तो सीधे तौर पर प्रभावित होगा। ऐसे में डिपो में पानी ना भरे इसका पुख्ता इंतजाम करना होगा। मेट्रो स्टेशनों पर डेक स्लैब बिछाने का काम भी बारिश के ब्रेक के दौरान ही हो पाएगा। हालांकि इस काम के लिए अधिकतम 10 घंटे का समय लगता है। स्टेशनों के बाकी काम छत के नीचे होना हैं।

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