नगरवधु के भी होते है कुछ सपने...

रेड लाइट एरिया या प्रोस्टीट्यूशन मार्केट वैसे तो लोगो को शारीरिक सुख देने के लिए खोले जाते है. और यहाँ काम करने वाली युवतियां या महिलाए पैसे के लिए काम करती है. अब इस काम को उनकी मज़बूरी के रूप में देखा जाए या फिर कुछ और लेकिन ग्राहकों को हर परिस्थिति में खुश रखना आज इनका पेश बन गया है. लेकिन क्या आपने कभी एक वैश्या के जीवन या वैश्या के सपनो के बारे में जानने की कोशिश की है. नहीं ना, तो आइये आज हम आपको बताते है कि कैसा होता है एक वैश्या का जीवन और कैसे होते है एक वैश्या के सपने....आज खुद एक वैश्या की जबानी जानिए...

उसका कहना है कि बहुत ही कम उम्र करीब तीन साल की उम्र में मेरी माँ मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चली गई. मेरे 15 साल के होने तक मेरे पिता मुझे पीटते थे और मेरा बलात्कार भी करते थे. लेकिन इस समय मुझे गलत या सही के बारे में कुछ भी अहसास नहीं था. मुझे सिर्फ यह बेहद ही गन्दा और दर्दभरा लगता था. जब मैंने 20वें वर्ष में कदम रखा तब मैं अपने प्रेमी के साथ अपने छोटे से गांव से भागकर बड़े शहर दिल्ली आ गई.

मेरे प्रेमी ने मुझसे कई सुनहरे वादे किये. लेकिन वह केवल वादे ही रह गए. महज एक सप्ताह के भीतर ही मेरे साथ हनीमून मनाने के बाद मुझे जीबी रोड पर एक कोठे में बेच दिया गया. यहाँ मेरे साथ हर रोज़ शारीरिक संबंद बनाने के लिए अनजाने चेहरे आने लगे. मुझे बहुत ही गन्दा अहसास होता था. आज उस बात को करीब 30 साल बीत चुके है. और अब यहाँ भी सबकुछ एक घर जैसा लगने लगा है. आज देखती हूँ तो यह पाती हूँ कि इस जगह ने मुझे एक पहचान "वैश्या" दी है. आज मैं एक वैश्या हूँ लेकिन किसी पर निर्भर नहीं हूँ.

"मैं यहाँ अपने गांव से अपने प्रेमी के साथ एक सपना लेकर आई थी. मैं भी एक ऐसा जीवन जीना चाहती थी जहाँ लोग मुझे और मेरे परिवार को सम्मान के साथ देखे नाकि एक घृणा की नजर से. पिता के इस कुकृत्य के बाद मेने अपने प्रेमी के साथ सुखी जिंदगी बीतने के बारे में सोचा था. मैं भी यह चाहती थी कि मेरा एक छोटा और सुखी परिवार हो. बच्चे हो सारी खुशियां हो. लेकिन देखते ही देखते सबकुछ धूमिल हो गया. जैसे ही मैंने खुद को कोठे पर अपना जिस्म बेचते हुए पाया, मेरे सारे सपने अपनी आँखों से ओझल हो गए. ऐसा लगा जैसे मेरे सपने अँधेरे में खो गए....और मेरी जिंदगी...एक अंधकार में."

यहाँ पढ़िए.....'एक कहानी वैश्या की'​

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