डबल मीनिंग शायरियां

1. अपना अपना ज़ायका है गालिब, किसी को पेग मार के नींद आती है तो किसी को मु# मार के.

2. ज़रूरी नही है कि किसी को नापसंद करने की कोई वजह हो, कुछ भो#डी के पैदा ही होते है गालियां खाने के लिए.

3. उर्दू में अर्ज़ है : वो वक़्त गुज़र गया जब मुझे तेरी आरज़ू थी, अब तू ख़ुदा भी बन जाये तो में सजदा ना करूँ. . हिंदी रूपांतरण : जब लं# खड़ा था तो तू आई नहीं, अब मैंने मु# मार ली है, तू अपनी माँ चु#.

4. कुछ तो बाकी है तेरे मेरे दरमियाँ ऐ जानेमन; यूँ ही नही तेरी याद में मेरा लं# खड़ा हो जाता.

5. इश्क है तो कुबूल कर लो सरेआम दुनिया के सामने; वो जो खंडहरों के पीछे होता है उसे HUDAAI कहते है.

6. क्या कशिश थी उस की आँखों में मत पूछो; मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे यही CH**T चाहिए.

7. खत्म हो गयी तमन्ना-ए-मोहब्बत... अब तो लगता है चो# और चलते बनो.

8. उनकी गली से गुज़रे, तो चौबारा नज़र आया, उनकी गली से गुज़रे, तो चौबारा नज़र आया, उसकी माँ बाहर आ कर बोली.... G**ND फाड़ दूंगी BH*SDI के, जो दोबारा नज़र आया.

9. दिल तोड़ने की सजा नहीं मिलती, दिल टूटने की वजह नहीं मिलती, माल तो बहुत फस जाते हैं, मेरे दोस्त...बस उन्हे ठोकने की जगह नहीं मिलती.

10. जाने क्या ठान ली है इस मौसम ने आज, या तो बढ़ेंगे शराबी, या बढ़ेगी आबादी.

बाबा बंगाली के ख़ज़ाने से डबल मीनिंग जोक्स का तड़का

रिश्तों में ठहराव के लिए ज़रूरी है इमोशनल अटैचमेंट और संवाद

रिलेशन में एक दूसरे की राय को दें इम्पॉर्टेंस

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