पारंपरिक मिठाईयों से घुलेगी दीपोत्सव की मिठास

दीपावली के त्योहार पर घर आने वाले मेहमानों का मुंह मीठा कराना हमारी परंपरा रही है और यही कारण है कि लोग बाजारों से महंगी मिठाई खरीदकर लाते है। भले ही बाजार की मिठाई से दीपावली की मिठास घोली जाये, लेकिन पारंपरिक मिठाईयों का भी कोई सानी नहीं है। यही कारण है कि घरों में आज भी पारंपरिक मिठाईयां बनाई जाती है। धन तेरस से मिठाई बनाने का सिलसिला शुरू हो जायेगा।

गृहणियों ने बताया कि बाजार की मिठाई महंगी तो होती ही है वहीं दो दिन से अधिक इनका उपयोग भी नहीं किया जा सकता है, इसलिये घर में बनी मिठाई का महत्व भूलाया नहीं जा सकता। घर में गूंझिया, शकर पारे, मीठे गाठिये के साथ ही लोकी की बर्फी, बेसन की चक्की, नारियल की बर्फी, मावे की बर्फी आदि के अलावा नमकीन को भी तैयार किया जाता है। घरों में बनने वाली मिठाई और नमकीन के लिये दुकानों से सामग्री की खरीदी का सिलसिला जारी है।

रसोई घर से उठ रही सुंगध

घरों में पारंपरिक मिठाईयां बनाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है और इसके चलते रसोई घर से सुंगध उठ रही है। महिलाओं ने बताया कि परिवार की महिला सदस्यों के साथ ही आस पास की महिलाएं भी मिठाई व नमकीन बनाने में सहयोग कर रही है।

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