आखिर क्यों दीवाली पर माता लक्ष्मी के साथ नहीं होती है प्रभु श्री विष्णु की पूजा?

जिंदगी में तमाम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है तथा धन-धान्य का सुख मां लक्ष्मी की कृपा से मिलता है। मां लक्ष्मी की साधना-आराधना का दिन है दीपावली, जो कि अंधकार पर रोशनी की विजय का त्यौहार माना जाता है। प्रथा है कि दीपावली त्यौहार पर माता लक्ष्मी की साधना-आराधना करने से पूरे वर्ष आर्थिक मजबूती बनी रहती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से धन का भंडार भरा रहता है तथा सभी तरह के सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दीपावली के दिन ही ऋद्धि-सिद्धि के दाता एवं प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणेश जी की भी खास तौर पर साधना होती है, जिनकी कृपा से पूरे वर्ष जिंदगी में सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। ऐसे में हर कोई शुभ एवं लाभ की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के साथ खास तौर पर गणेश जी का विधि-विधान से पूजा करता है।

दिवाली पर इन देवी-देवताओं का होता है विशेष पूजन:- दीपावली के पावन त्यौहार पर प्रभु श्री गणेश एवं मां लक्ष्मी के अतिरिक्त धन के देवता कुबेर, माता काली एवं मां सरस्वती की पूजा का भी विधान है। मगर इन सभी के लिए की जाने वाली खास पूजा के साथ प्रभु श्री विष्णु की पूजा क्यों नहीं की जाती है, यह अपने आप में एक बड़ा प्रश्न है जो अक्सर व्यक्तियों के मन में आता है, जबकि प्रभु श्री विष्णु की पत्नी माता लक्ष्मी को लोग पूरे विधि-विधान से पूजते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर दिवाली की रात प्रभु श्री विष्णु के बिना क्यों पूजी जाती हैं माता लक्ष्मी।

जानिए भगवान विष्णु के बिना क्यों पूजी जाती हैं मां लक्ष्मी:- जिस दीपावली पर माता लक्ष्मी के साथ तमाम देवी-देवताओं की खास तौर पर पूजा की जाती है, उसी रात आखिर श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती है, क्योंकि दीपावली का पावन त्यौहार चातुर्मास के बीच पड़ता है तथा इस वक़्त प्रभु श्री विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में लीन रहते हैं। ऐसे में किसी धार्मिक कार्य में उनकी अनुपस्थिति स्वाभाविक है। यही वजह है कि दीवाली पर धन की देवी मां लक्ष्मी व्यक्तियों के घर में बगैर श्रीहरि भगवान विष्णु के बिना पधारती हैं। वहीं देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणेश जी उनके साथ अन्य देवताओं की ओर से उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि दीपावली के पश्चात् जब प्रभु श्री विष्णु कार्तिक पूर्णिमा के दिन योगनिद्रा से जागते हैं तो सभी देवता एक बार श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी का खास पूजन करके एक बार फिर दीपावली का त्यौहार मनाते हैं, जिसे देव दीपावली बोला जाता है।

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