कदम यूँ ही डगमगा गए रास्ते से वरना संभलकर चलना हम भी जानते थे ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से जिसे हम अपना खुद मानते थे तलाश न कर तू मुझे ज़मीन और आकाश की गर्दिशों में अगर तेरे दिल में नहीं तो में कही भी नहीं