फील्डिंग के दौरान हुए धोनी क्लीन बोल्ड

हाल ही में इंडिया और श्रीलंका के बीच चल रही वनडे सीरीज का दूसरा मैच खेला गया. इस मैच के दौरान भारतीय टीम के विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी की कीपिंग स्किल्स और आईसीसी के नियमों को लेकर सवाल खड़े हो चुके हैं. यह मामला मोहाली वनडे में श्रीलंकाई पारी के दौरान 11वें ओवर का है, जब श्रीलंका के बल्लेबाज लाहिरू थिरिमाने और एंजेलो मैथ्यूज ने दो रन पूरा करने के लिए क्रीज पर दौड़ लगाई.

तभी धोनी, फील्डर द्वारा फेंके गए थ्रो को पकड़ने के लिए क्रीज पर आए लेकिन लास्ट मोमेंट में उन्होंने थ्रो छोड़कर सीधा विकेट पर लगने दिया. अंपायर ने इस फैसले को थर्ड अंपायर की तरफ भेज दिया. इस प्रकार की फील्डिंग आईसीसी द्वारा बनाये गये नए नियमों में फेक फील्डिंग मानी जाती है.

इन सभी नियमों को लेकर धोनी की इस प्रकार की चालाक विकेटकीपिंग स्किल्स को शक के घेरे में लिया गया है. एमसीसी के क्रिकेट के नियमों के मैनेजर फ्रेजर स्टीवर्ट ने धोनी को डिफेंड करते हुए कहा कि, "इस प्रकार की स्किल्स को फेक फील्डिंग में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि नियम के अनुसार अगर कोई ख़िलाड़ी बल्लेबाज को रन लेने के दौरान परेशान करने की कोशिश कर रहा है तो वह गलत है और धोनी ने इस प्रकार की कोई भी कोशिश नहीं की है."

आईसीसी ने इस साल 1 अक्टूबर को क्रिकेट के नए नियमों को लागू किया है. एमसीसी के नियम 41.5 के अनुसार, कोई भी फील्डर जानबूझ कर फील्डिंग करने की नक़ल नहीं कर सकता और बल्लेबाज के रास्ते में बाधा नहीं बन सकता है.

साथ ही 45.5.1 में भी कहा गया है कि कोई भी फील्डर जानबूझ कर बल्लेबाज को अपशब्द, व्याकुल और मैच के दौरान परेशान नहीं कर सकता है. फेक फील्डिंग के नियम में कोई भी फील्डर थ्रो पकड़ने की नक़ल नहीं कर सकता.

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