हीरे की चमक हुई फीकी, कारोबार में हुई गिरावट

अहमदाबाद : सूरत हीरा उद्योग आज कठिन समय से गुजर रहा है.  हीरा उद्योग विदेशी राजस्व का एक प्रमुख स्रोत और करोडों लोगों के लिए आजीविका का साधन है. हीरा तराशने वाली कई इकाइयां मंदी के दौर से गुजर रही है और इनमें से कुछ  की स्थिति इतनी खराब है की बंद होने की नौबत आ गयी है. विदेशी मांग घटने और कच्चे हीरे की बढती कीमत के मुकाबले तराशे गये हीरे की कीमत स्थिर रहने के चलते कारोबार को मंदी से झूझना पड़ रहा है.

हीरे का कारोबार बुरे दौर से गुजर रहा है इस संबंध में सूरत डायमंड ऐसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश नवादिया ने कहा 'विदेशी मांग के स्तर में गिरावट आई है और यदि 2014 से कच्चे हीरे की कीमत में बढोतरी से तुलना करें तो तराशे गये हीरे के मूल्य में किसी भी प्रकार का इजाफा नहीं हुआ है.' नवादिया ने इस नरमी को अप्रत्याशित बताया. उन्होंने कहा 'ऐसा कई बार होता है लेकिन तीन-चार माह में आम तौर पर स्थिति बेहतर हो जाती है. इस बार यह संकट लम्बे अरसे तक चला है.

उन्होंने बताया कि एक हीरा इकाई, गोधानी जेम्स में 1,500 कर्मचारी कार्य करते थे. मंदी की वजह से यह इकाई बंद हो गई है. इसी तरह कोई 25 इकाइयां दिवालिया हो गई हैं. हीरा कामगारों की स्थिति के बारे में नवादिया ने बताया कि बाजार में मंदी के दौर में अकुशल और अर्ध-कुशल कामगारों के लिए रोजगार की तलाश करना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है.

कारोबार में लगातार हो रही हानि के बारे में एक अन्य कारोबारी अनिरुद्ध लिदबिदे ने कहा 'चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, खाडी,  यूरोप और अमेरिका से तराशे गये हीरे की मांग बेहद कम है. इसकी वजह से हीरा उद्योग में तैयार माल का काफी भंडार जमा है.' उन्होंने कहा कि कच्चे हीरे के दाम में तीन साल में 65 से 70 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जबकि पॉलिश और तराशे गये हीरे का दाम में किसी तरह की कोई वृद्धि नहीं हुई है. यह स्थिर बना हुआ है जिससे लाभ का आकड़ा काफी कम हो गया है.

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