धीरूभाई कहते थे, ''जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं”

धीरजलाल हीरालाल अंबानी उर्फ़ धीरुभाई अंबानी ये नाम है देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानो में से एक के मालिक का. धीरूभाई को उनके व्यापर व्यवसाय के फैलाव से ज्यादा उनके संघर्ष के लिए याद किया जाता है. धीरजलाल हिराचंद अम्बानी (धीरूभाई अम्बानी) एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की. उन्होंने मात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की थी पर अपने दृढ-संकल्प के बूते उन्होंने स्वयं का विशाल व्यापारिक और औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया. सिर्फ तीन दशकों में उन्होंने अपने छोटे से कारोबार को एक विशाल औद्योगिक कंपनी में तब्दील कर दिया. आज अंतराष्ट्रीय बाजार के सबसे बड़े नामो में रिलायंस का नाम लिया जाता है .जोखिम उठाने की अपार क्षमता ने उन्हें फोर्ब्स के सबसे धनि व्यक्तियों की सुची में पहुंचा दिया. आज उनके दोनों बेटे अनिल और मुकेश दुनिया के सबसे आमिर लोगो में शामिल है और सयुंक्त संपत्ति के हिसाब से दुनिया के सबसे अमीर भाई है.

धीरुभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर, 1932, को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गाँव में एक सामान्य मोध बनिया परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम हिराचंद गोर्धनभाई अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था. उन्होंने गिरनार के पास भजिए की एक दुकान से शुरुआत की. फिर 300 रूपये प्रति माह के वेतन पर काम किया. 1950 के दशक में उन्होंने  पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार प्रारंभ किया. उन्होंने वर्ष 1966 में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल स्थापित किया. ‘विमल’ ब्रांड की शुरुआत की जो की उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे, विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था. 1977 में रिलायंस ने आईपीओ (IPO) जारी किया तब 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया फिर रिलायंस के कारोबार का विस्तार पेट्रोरसायन, दूरसंचार, सूचना प्रोद्योगिकी, उर्जा, बिजली, फुटकर (retail), कपड़ा/टेक्सटाइल, मूलभूत सुविधाओं की सेवा, पूंजी बाज़ार (capital market) और प्रचालन-तंत्र (logistics) हुआ. दिल का दौरा पड़ने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, 2002 को भर्ती किये जाने के बाद 6 जुलाई 2002 को धीरुभाई अम्बानी का देहांत हो गया.

धीरुभाई अम्बानी के सोच आज भी उद्योग जगत की प्रेरणा बनी हुई है. वे कहते थे -

‘मेरी सफलता का राज़ मेरी महत्वाकांक्षा और अन्य लोगों का मन जानना है’ “सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है” “कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करें. कठिनाइयों को अवसरों में तब्दील करें.असफलताओं के बावजूद, अपना मनोबल ऊँचा रखें. अंत में सफलता आपको अवश्य मिलेगी” “बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो. विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है” “हम अपने शाशकों को नहीं बदल सकते पर जिस तरह वो हम पर राज करते हैं उसे बदल सकते हैं” “फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती” “यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी” “कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए” “युवाओं को एक अच्छा वातावरण दीजिये. उन्हें प्रेरित कीजिये. उन्हें जो चाहिए वो सहयोग प्रदान कीजिये. उसमे से हर एक आपार उर्जा का श्रोत है. वो कर दिखायेगा” “मेरे भूत, वर्तमान और भविष्य के बीच एक आम कारक है: रिश्ते और विश्वास का. यही हमारे विकास की नीव हैं” “समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है, मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ” “जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं” “हम दुनिया को साबित कर सकते हैं कि भारत सक्षम राष्ट्र हैं. हम भारतीयों को प्रतियोगिता से डर नहीं लगता. भारत उपलब्धियां प्राप्त करने वालों का राष्ट्र है”

उन्हें इस सफर में मिले सम्मान

एशियन बिज़नस लीडरशिप फोरम अवार्ड्स 2011 में मरणोपरांत ‘एबीएलएफ ग्लोबल एशियन अवार्ड’ से सम्मानित. भारत में केमिकल उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘केमटेक फाउंडेशन एंड कैमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड’ द्वारा ‘मैन ऑफ़ द सेंचुरी’ सम्मान, 2000  एशियावीक पत्रिका द्वारा वर्ष 1996, 1998 और 2000 में ‘पॉवर 50 – मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया’ की सूची में शामिल  वर्ष 1998 में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय द्वारा अप्रतीम तेत्रित्व के लिए ‘डीन मैडल’ प्रदान किया गया  वर्ष 2001 में ‘इकनोमिक टाइम्स अवार्ड्स फॉर कॉर्पोरेट एक्सीलेंस’ के अंतर्गत ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड  फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा ‘मैन ऑफ 20th सेंचुरी’ घोषित 

 

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