धुप की अग्नि में जलते देेखा

होते सहर में सबा को चलते देखा संध्या में महताब को मचलते देखा . सब सितारे बाराती बनकर आ गये महताब को निशा से मिलते देखा . प्रभात आया था ऊषा की फिराक में आफताब को ऊषा संग उगते देखा . गर्मी से सूख जाता शबनम का बदन शिशिर में शबनम को छलकते देखा . एक-एक बूँद खिल जलपरी लगती शबनम को रश्मियों संग बहते देखा . ऊषा संग शबनम में सराबोर गुलाब खुशी के आँसू से जहाँ महकते देखा . दो जून की रोटी सूख जाती ताप से दो जून को सूरज को दहकते देखा . इंसाँ जलता रहता चिता या चिंता में सबको धूप की अग्नि में जलते देेखा . सूरज जाने के बाद संध्या आ जाती  संध्या की आँचल में सँवरते देखा . अँधेरे का भी महत्त्व सबके जीवन में अँधेरे में दो दिलों को मिलते देखा .  तम बिन दिल का मिलन नही "प्रकाश' पलक छाँव से रजनी को गुजरते देखा

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