धूप हमारी अपनी संगी

चलो उठाएं धूप बांह भर चलो उठाएं धूप । धूप हमारी अपनी संगी छाया से क्या नाता/ बिना छतों के घर है अपने हवा प्रकाश जो आता । पास हमारे अपना सूरज उनके गहरा कूप । थर थर शीत लहर में ए सी में वो सोये । उनके भोजन में आ बैठे बादाम पिस्ते औ खोये । उनको भाए कम्बल स्वेटर हमको कोमल धूप/

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