धनतेरस : बेहद रोचक है धनतेरस की पौराणिक कथा, जानिए इसके बारे में

धनतेरस के त्यौहार से हर कोई परिचित है, हालांकि इसे लेकर कई तरह की कथाएं भी प्रचलित है. पौराणिक कथाओं से धनतेरस का महत्व भी साफ़ तौर से समझा जा सकता है. ऐसे में इस त्यौहार की कथा के बारे में जानना भी आवश्यक है. जानिए क्या है धनतेरस की पौराणिक कथा ?

भगवान विष्णु और असुरों के गुरु शुक्राचार्य से यह कथा संबंध रखती है. एक बार विष्णु जी ने शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी. इस दिन कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का दिन था और इसका कारण शुक्राचार्य द्वारा देवताओं के कार्य में बाधा उतपन्न करना था. 

कथा के मुताबिक़, राजा बलि के आतंक से देवताओं को छुटकारा दिलाने के लिए भगवान विष्णु धरती पर वामन अवतार के रूप में प्रकट हुए. एक बार राजा बलि बड़ा यज्ञ करा रहे थे, इस दौरान वामन अवतार में विष्णु जी बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचें. हालांकि इस दौरान शुक्राचार्य ने विष्णु जी को पहचान लिया और राजा से कहा कि वामन चाहे किसी भी चीज की मांग करे उनकी मांग पूरी नहीं होनी चाहिए. शुक्राचार्य ने साफ़ तौर से राजा बलि से कह दिया कि यह वामन साक्षात श्री विष्णु का रूप है और ये देवताओं की मदद के लिए यहां आए है, हालांकि राजा बलि ने शुक्राचार्य की बातों को नजरअंदाज कर दिया. 

आगे पूरा इतिहास गवाह है जो हुआ उसके आगे हर कोई नतमस्तक है. वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि की मांग की. लेकिन शुक्राचार्य ने फिर राजा बलि से इस मांग को पूर्ण न करने के लिए कहा. वामन अवतार में श्री विष्णु तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल निकालकर संकल्प लेने लगे गए, परन्तु तब ही वामन जी के कमंडल में शुक्राचार्य ने सूक्ष्म रूप में प्रवेश किया और कमंडल में समाहित जल को उन्होंने रोक दिया. वामन भगवान ने शुक्राचार्य को सबक सिखाते हुए उनकी एक आंख कमंडल के भीतर ही फोड़ दी. ऐसे में हड़बड़ाहट में तुरंत शुक्राचार्य कमंडल से बाहर आ गए.

शुक्राचार्य के बाहर आते ही राजा बलि वामन जी को तीन पग भूमि देने लगे. जहां श्री विष्णु ने पहले पग में धरती और दूसरे पग में आकाश माप लिया. श्री विष्णु से अब राजा बलि भली-भांति परिचित हो चुके थे. अब एक पग शेष था और राजा बलि के पास कोई रास्ता नही था, ऐसे में राजा बलि ने श्री विष्णु के चरणों में तीसरे पग के लिए अपना सिर रख दिया. इस तरह से राजा बलि के आतंक से देवताओं को छुटकारा मिला और देवताओं से बलि द्वारा छीनी गई संपत्ति देवताओं को पुनः प्राप्त हो गई. इसी उपलक्ष्य में भारत में धनतेरस का प्रमुख त्यौहार मनाते है. 

 

 

 

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