विदेश मंत्रालय ने देवयानी पर सच छुपाने का आरोप लगाया

नई दिल्ली : सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि आईएफएस अधिकारी तथा न्यूयॉर्क में पूर्व उप-महावाणिज्य दूत देवयानी खोबरागड़े ने कानून को ताक पर रखते हुए अपनी दो पुत्रियों के लिए अमेरिकी एवं भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किये.  देवयानी ने इस बारे में विदेश मंत्रालय को भी सूचित नहीं किया , जिससे उनकी सत्यता एवं ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है.  

इस मामले में विदेश मंत्रालय ने अदालत के समक्ष दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा, 'देवयानी खोबरागड़े ने कहा था कि अमेरिकी पासपोर्ट केवल अमेरिका की यात्रा के लिए थे. उनके इस कथन से उनके गलत काम की गंभीरता को कम नहीं आंका जा सकता है. उन्होंने भारतीय पासपोर्ट नियमों का उल्लंघन किया है. 

विदेश मंत्रालय के हलफनामे में कहा गया, यदि देवयानी को अपनी दोनों पुत्रियों के लिए अमेरिकी वीजा हासिल करने में कोई समस्या आ रही थी तो उन्हें तो यह मसला अपने नियोक्ता विदेश मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए था न कि उन्हें नियमों का उल्लंघन करना चाहिए था जो उनकी ईमानदारी और कार्य पर सवाल खड़े करते है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि देवयानी अपने गैरकानूनी कृत्य के परिणामो से बचाव नहीं कर सकती और उन्हें ऐसा करना भी नहीं चाहिए.  हलफनामा अदालत के नोटिस पर जारी किया गया है. अदालत ने यह नोटिस देवयानी की पुत्रियों के भारतीय पासपोर्ट वापस लिए जाने के बाद उनके द्वारा इस कदम को दी गई चुनौती पर दिया था. 

इस मामले में देवयानी ने अपनी पुत्रियों की तरफ से दावा किया कि सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना तथा उनका पक्ष सुने बिना पासपोर्ट जब्त कर लिए. सरकार ने जिस आदेश के तहत उनकी पुत्रियों के पासपोर्ट ले लिए थे उस पर अदालत ने 30 दिसंबर 2014 को रोक लगा दी थी. 

अपने हलफनामे में सरकार ने पासपोर्ट वापस लेने के अपने निर्णय पर अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि खोबरागड़े ने अपनी पुत्रियों के लिए भारतीय राजनयिक पासपोर्ट प्रमुख तत्वों को गुप्त रख कर नियमों का उल्लंघन करके प्राप्त किये. इससे साबित होता है कि देवयानी ने जानबूझ कर भारतीय पासपोर्ट नियमों का उल्लंघन किया है.

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