देवशयनी एकादशी कल, जानिए धार्मिक मान्यता

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की साल के चार-चार माह के अंतर में ब्रह्मा,विष्णु और महेश इस प्रकृति का संचालन करते है,जिसके चलते कल एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपने कार्यो से मुक्त होकर चार माह के लिए विश्राम करेंगे,और भगवान ब्रह्मा और शिव इस संसार की देखरेख करेंगे,कल आने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है,जिसके चलते चार माह के लिए विवाह और कई मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारम्भ हो जाता हैं। चातुर्मास में भगवत आराधना, भागवत पारायण, साप्ताहिक पारायण तीर्थ यात्रा व यम नियम के साथ संयम का संकल्प लेना चाहिए।चातुर्मास में व्रत, जप, तप, नियम, स्वाध्याय का विशेष महत्व है।

महाकाल करेंगे सृष्टि की देखरेख  देवशयनी एकादशी के कुछ दिन बाद ही सावन माह शुरू हो जायेगा,ऐसा माना जाता है की सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है,इस पुरे महीने भगवान शिव की पूजा करने का एक अलग महत्व है,इस माह में शिव की पूजा करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है,और भक्तो को बाबा महाकाल भरपूर आशीर्वाद भी देते है, सावन माह को शिव आराधना का माह भी कहा जाता है, इसी महीने में लाखो कावड यात्री कावड़ लेकर शिवालयों में पहुंचते है और भगवान शिव को जल अर्पित करते है, एकादशी से भगवान शिव इस संसार का पूरा कार्यभार संभालेंगे और भक्तो को चिंता से मुक्त रखेंगे।

दो ज्योतिर्लिंगों के बीच निकलेगी कावड़ यात्रा आने वाले सावन माह में लाखो कावड़ यात्री भगवान शिव को जल चढ़ाने ओम्कारेश्वर से महांकालेश्वर पहुंचेंगे आपको बता दे की यह पूरी यात्रा लगभग 150 किलोमीटर की रहती है,इस पूरी यात्रा में शिव भक्त पैदल ही यात्रा करते है और भगवान शिव का नर्मदा के जल से जलाभिषेक करते है, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कड़ी से कड़ी परीक्षा देते है और महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करते है। 

सावन में जरूर लगाएं ये 5 पौधे, मिलेगा हर दुःख से निजात

इस श्रावण बाबा महाकाल की निकलेगी कुल छः सवारी, सालो से चली आ रही परम्परा का होगा निर्वहन

सोमवार के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

Related News