वन रैंक-वन पेंशन योजना लागू होने मे टालमटोल के चलते पूर्व सैनिकों ने प्रर्दशन किया

पालमपुर : मोदी सरकार ने दो दिन पूर्व एक नवीन योजना का शुभारम्भ किया. वन रैंक-वन पैंशन योजना में केंद्र सरकार द्वारा की जा रही देरी के विरोध मे  शुक्रवार को पूर्व सैनिकों ने पालमपुर में जमकर हल्ला बोला. पूर्व सैनिक लीग पालमपुर के सहयोग से भूतपूर्व सैनिकों ने विरोध करने हेतु रैली निकाली.  सैनिक लीग पालमपुर ऑफिस से बहुत अधिक संख्यामें पूर्व सैनिकों, वीर नारियों व सैनिक परिवारों ने मोदी सरकार के विरोध में शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने जमकर नारेबाजी की व प्रशासन के द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री को ज्ञापन देकर समान रैंक-समान पैंशन योजना को शीघ्र अनिवार्य करने की मांग उठायी. 

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने मुलाकात के बाद कहा है कि, बातचीत का परिणाम सकारात्मक निकला और उन्होंने हमारी चिंताओं को गंभीरता से लिया.  उन्होंने यह भी बताया है कि वह इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखेंगे.  उन्होंने आगे जानकारी दी कि 14 जून को लगातार रैली व प्रदर्शन जारी रहेगा.  इसके बाद सभी भूख हड़ताल पर बैठेंगे. इस अंतर को इस अनुसार समझा जा सकता है कि 2006 से पूर्व सेवानिवृत्त मेजर जनरल की पेंशन जो थी. गौरतलब है की अभी कोई कर्नल सेवानिवृत होगा तो उसकी पेंशन में इजाफा होगा. जबकि मेजर जनरल एक कर्नल से दो रैंक ऊपर का अधिकारी होता है. 

इस योजना को इसलिए भी जरुरी माना जा रहा है क्योंकि सैन्यकर्मी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में कम समय में ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं इसलिए उनके लिए पेंशन योजना पर अलग से नीति बनानी चाहिए. केंद्र के नौकरशाह औसतन कम वर्ष तक सेवाएं देते हैं और अपनी आखिरी तनख्वाह की 50 प्रतिशत पेंशन उन्हें मिलती है. जबकि एक सैनिक आमतौर पर 10 से 12 वर्ष में की समयावधि में ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं और वेतन की 50 प्रतिशत से कम पेंशन मिलती है. 

यानी जो पहले रिटायर हुए उनकी सामान्य पेंशन बाद में रिटायर हुए सैनिक की तुलना में बहुत काम होती है.  इसीलिए बेसिक पेंशन के आधार पर दी जाने वाली पेंशन भी कभी कम ही रहती है, चाहे उसमें कितने भी भत्ते व अन्य चीजे जोड़े दी जावे.  सरकार को महसुस हो रहा है कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए यह योजना लागू करने के बाद कहीं दूसरे अर्धसैनिक बलों के द्वारा भी ऐसी मांगे शुरू न हो जाये.

 

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