बैंकों की लोन ग्रोथ 54 साल के लो लेवल पर पहुंची

नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद बिजनेस सेंटीमेंट डाउन होने के चलते कंपनियों ने लोन लेना कम कर दिया है, जबकि आम लोगभी रोजमर्रा का सामान की ही खरीदारी कर रहें हैं, अन्य सामान की नही. हालांकि, एचडीएफसी बैंक और ऐक्सिस बैंक का दावा है कि कमजोर लोन ग्रोथ का सबसे बुरा दौर गुजर गया है. उनके अनुसार नकद की आपूर्ति सामान्य होने और व्यवसाय की सेंटीमेंट सुधरने के बाद ऋण की मांग तेजी से बढ़ेगी.

आपको बता दें कि एसबीआई डेटा केअनुसार , 9 दिसंबर को खत्म हुए पिछले 15 दिनों में लोन ग्रोथ 6 प्रतिशत से नीचे 5.8 फीसदी पर चली गई. यह 1962 के बाद की सबसे कम ग्रोथ है. उस वक्त बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ था. 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बन्द किए जाने के बाद बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ा है

उल्लेखनीय है  कि बैंक 13 लाख करोड़ से अधिक के डिपॉजिट पर ब्याज चुका रहे हैं, जबकि लोन की मांग बहुत कम हो गई है. एसबीआई जैसे कुछ बैंकों ने तो लोन ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दर में कटौती भी की है, लेकिन अभी तक इसका बहुत असर नहीं हुआ है, क्योंकि कंपनियां नोटबंदी की समस्या में उलझी हुई है . हालांकि, अगली तिमाही से रिटेल लोन की मांग बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

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