दिल्ली में चल रहा कमीशन का खेल, स्कूल खुलने से पहले लूट रही पैरेंटस की जेब

नईदिल्ली। दिल्ली में निजी स्कूलों के प्रभाव के चलते नए शिक्षण सत्र के प्रारंभ होने से पहले किताबों की सेलिंग में कमीशन का खेल खेला जा रहा है। जी हां, हालात ये हैं कि विद्यालयों में एनसीईआरटी के सेट से अध्ययन करवाने की बात कही जाती रही है लेकिन कई निजी स्कूल्स कमीशनखोरी के फेर में उलझकर अभिभावकों से निजी पब्लिशर्स या मार्केट में मिलने वाले अन्य पाठ्यक्रम को खरीदने की बात कहते हैं ऐसे में अभिभावकों को बड़े पैमाने पर रूपयों की चपत लग जाती है।

यदि एनसीईआरटी की किताबों का कोई सेट 230 रूपए से 300 रूपए तक उपलब्ध है तो वह अन्य प्रकाशकों के यहां पर लगभग ढाई हजार रूपए से तीन हजार रूपए तक मिल पाएगा। इस मामले में जब मीडिया द्वारा जिम्मेदारों से सवाल किए गए तो उन्होंने सर्कुलर का अध्ययन करने की बात कही। हालात ये है कि स्कूल में पहली कक्षा के बच्चों की पुस्तक के लिए 2800 रूपए लिए गए तो दूसरी ओर एनसीईआरटी की किताब केवल 230 रूपए की थी।

किताबों के कमीशन के कार्य में बड़े बड़े पब्लिशर्स और विद्यालय लगे हैं। इस मामले में छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के अध्यक्ष नीरजसिंह ने कहा कि निजी स्कूल निजी पब्लिशर्स की पुस्तकें प्रदान कर रहे हैं सीबीएसई की गाइडलाइन के बाद भी एनसीईआरटी की पुस्तकें प्रदान नहीं की जा रही हैं। ऐसे में अभिभावकों को महंगी पुस्तकें खरीदना पड़ रही हैं।

हालांकि एक संस्थान के प्राचार्य ने इस मामले में कहा है कि उनके यहां तो एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही अध्यापन करवाया जाता है। पहले जरूरत प्राथमिक कक्षाओं में पाठ्यक्रम की परेशानी होती थी लेकिन अब ऐसी मुश्किल नहीं है सीबीएसई ने आवश्यकता पूर्ण कर दी है।

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