देख बेचैन क़दमों को आते हुए..

नज़र से नज़र मिलाते हुए, कहते हैं झूठ, मुस्कुराते हुए, हराते हैं पहले से हारे हुए को, बिसात शतरंज की बिछाते हुए,

कर ले बस में अपने बहार को, पल्लू आँचल का लहराते हुए, बेचते हैं ऊंचे भाव में, रंग-ए-मोहब्बत को दिखते हुए,

लुटाया रक़्स ने खूब जलवा अपना, सुनसान चमन में महफ़िल सजाते हुए, उड़ाया है बेदारी ने होश अपना, देख बेचैन क़दमों को आते हुए...

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